फिर मैने कम्बल के अन्दर हाथ डाल के मम्मी की शलवार का नाड़ा खोला और शलवार घुटनों के नीचे सरका दी। मम्मी ने अपनी आंखें बंद कर ली। मैने मम्मी की जांघ पर तेल लगाना शुरु किया। ऊऊओह। मम्मी की जांघ का अनुभव बहुत ही मादक था। "मम्मी कहां तक लगाऊं तेल" "बेटे थोड़ा तेल जांघ पर" मैने मम्मी की जांघ पर अंदर की तरफ़ तेल लगाना शुरु किया तब मम्मी ने अपनी टांगे थोड़ी फ़ैला ली। मैं तेल मलते हुए कभी कभी अपना हाथ मम्मी की पैंटी और चूत के पास फेरता रहा। मैं कम्बल में खिसक गया और मम्मी की टांगें अपनी कमर की साइद पे रख के तेल लगाता रहा। "मम्मी, अगर आप उलटी लेत जाओ तो मैं पीछे से भी तेल लगा दूंगा" "अच्छा" "मम्मी शलवार का कोई काम नहीं है, इसे उतार दो" "नहीं, खोल के घुटनों तक सरका दे" "अच्छा" फिर मम्मी पेट के बल लेत गयी अब मैं मम्मी की दोनो टांगों के बीच में बैठा हुआ था "मम्मी कुछ आराम मिल रहा है" "हम्म" "मम्मी एक बात बोलूं" "हम?